मित्र आज आपको सनातन धर्म के जंगल मे रहने वाले आदिवसी भील के जीवन चरित्र को लिख रहा हूं ।मुझे तो इनका चरित्र बङा प्यारा लगता है ।आपको भी पसंद आएगा मेरा मानना है ।यदि अच्छा लगे तो कमेंट जरूर करे । आपका कमेंट ही ऐसे कहानी को लिखने के लिए प्रेरित करेगा ।
मित्र किसी जंगल मे एक भील दम्पति रहते थे । जंगल मे रहने के बाद भी उनको भगवान शंकर मे अनुराग था ।और इतना अनुराग था कि भगवान शिव एक दिन संध्याकाल मे वृद्ध बाबाजी के रूप मे परिक्षा लेने पहुंच गए। बाबाजी भील दम्पति से बोला ,शाम का समय हो गया है ।मै वृद्ध आदमी अब कहां जाऊ ? आज्ञा हो तो रात यही तुम्हारे साथ गुजार ले ।भील बोला ,बाबा मेरे पास तो यही एक कमरे का घर है ।इसमे कैसे रहेंगे ? बाबाजी बोला ,कोई बात नही ।तुम लोग रहो मै कही देखता हूं ।कहकर बाबाजी चलने लगा तो ,भील की पत्नी बोली बाबा आप रात को कहां जाएंगे ? ऐसा करते है ,कि मै बाहर सो जाऊंगी ,और आप दोनो अंदर सो जाऐंगे ।आप रूक जाए। पत्नी की बात सुनकर भील बोला ,कोई बात नही ,मै बाहर सो जाऊंगा तुम दोनो अंदर सो जाना ।फिर बाबा को घेर लिया । रात मे यथोचित सत्कार कर भील हथियार लेकर बाहर पहरा देने लगा ।क्योंकि जंगली जानवर का खतरा जो था ।घर इतना बङा नही था जिसमे तीनो का निर्वाह हो सके ।
रात बीती ,सबेरा हुआ ।भिलाई और बाबाजी घर के बाहर निकल कर आए तो देखता है कि भील को जानवर अपना शिकार बना चुका था ।उसके शरीर का मांस जानवर खा चुका था ।सिर्फ हड्डी बचा था। बाबाजी रोने लगे ।बोले मेरे कारण ही इनका ये हाल हुआ है ।मै ही दोषी हूं । भीलनी बोली बाबा आप व्यर्थ शोक न करे ।इनका तो अच्छा ही हुआ है ।इस संसार से फुर्सत मिल गया है ।आप मेरे ऊपर कृपा करे ।आप लकङी से चीता बना बना दिजिए। मै इसके साथ ही सती हो जाऊंगी ।बाबाजी तो बाबाजी ठहरे ,उसमे यदि स्वयं भोले बाबा बाबाजी बने हो तो कहना ही क्या है ।बाबाजी चिता बनाकर तैयार कर दिए। भिलनी अपने पति के अस्थि को लेकर बैंठ गई। बाबा से बोले आप आग लगा दें ।बाबा ने चिता मै आग लगा दी ।चिता धु धुकर जलने लगा ।भिलनी अपने पति के अस्थि को गोद मे लेकर भोलेनाथ के ध्यान मे मगन हो गई ।बाबा से नही रहा गया ।भोलेनाथ प्रगट हो गए ।भिलनी को बाबा साक्षात्कार हुआ। अग्निदेव के लपटों मे बाबा बोले ,मै तुम पर अति प्रसन्न हूं ।अगले जन्म मे तुम महारानी दमयन्ती और तुम्हारे पति महाराज नल होगें ।मै तुम लोगो के साथ हंस बनकर तुम्हारे साथ रहूंगा ।
मित्र वह भील दम्पति अपने धर्म से विचलित नही हुआ था ।भोलेनाथ वहां पर शिवलिंग के रूप मे स्थापित हो गए। यह अरबुद पर्वत की घटना है ।भोलेनाथ वहां पर
अचलेश्वर महादेव के नाम से स्थित हो गए।
एक सनातन धर्मावलम्बी साधारण जंगली जीवन यापन करने वाला भील जिसका खान-पान, रहन-सहन भी अच्छा नही होगा ।परंतु भोलेनाथ मे आस्थान्वित हो कर दुर्गम संसार सागर से मुक्त हो गए।
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