काल और मृत्यु पर विजय भाग 2

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हर हर महादेव मित्र 
हमने जो पिछले लेख मे लिखा है ।बिल्कुल सत्य है ।जिन्हने पढा और  अभ्यास किया होगा ।उसे तो अनुभव हो गया होगा ।अब मै एक दुसरा तरिका बताने जा  हा हूं ।यह भी शानदार है आप इसका भी अभ्यास करके देख ले ।जल्दी ही इसका नतीजा सामने आता है ।इसमे है चाल घोङे के समान ,बस हाथी के समान  ,नजर गरुर के समान, बुद्धि बृहस्पति के समान, बाल काले काले और घुंघराले हो जाते है ।हजारो वर्ष की आयु प्राप्त हो जाती है ।
इसमे आपको चुल्ल से जैसे पानी पिया जाता है ।वैसे हवा पीना है ।सिर ऊँचा करके ओंठ को चोंच की तरह बना कर हवा पीए ।यही काम है । जब आप हवा पीते है तो मुॅह के भीतर ऊपर से नीचे की ओर एक घाटी लटकती रहती है । ।मस्तिष्क के भीतर शहसास्त्र चक्र है ।जिसमे अमृत का वास है। । जब हम हवा पीते है तो  सहस्रार चक्र से अमृत जिसे बोल चाल की भाषा मे लार भी कहते है  ।जो जीवन दायच
 शक्ति है । इसका स्राव होता है ।और हम उसका पान करते है  ,तो मनुष्य मे अपार बल का अनुभव होता है  । आप स्वयं प्रयोग कर देख सकते है ।
 मित्र विशेष कहने से क्या लाभ  आदमी को मुफ्त मे हीरा भी मिल जाए तो अच्छा नही लगता है ।लेकिन मेरा यह लेख जो भगवान शिव के द्वारा दिया गया है ।आप तक पहुंचाकर कृत्य कृत्य हो रहा हूं ।आप एक हफ्ते प्रेक्टिकल करके देखे ।और फिर कमेंट करे ।कि मेरे लेखनी मे कितना दम है  ।

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