अक्षय तृतीया हिन्दुस्तान का विषेश पर्व है ।आज के दिन किया गया सत्कर्म, दान-पुण्य, यज्ञादि कर्म ,साधु-संत, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, अन्न आवास, गौ,स्वर्ण आदि का दान अक्षय पुण्य को प्रदान करने वाला है ।अक्षय अर्थात जिसका क्षय नही होता है ।बहुत से प्रसिद्ध पुण्य कर्म का स्वर्गादि भोग के बाद क्षय हो जाता है ।लेकिन आज दिन का किया हुआ दान पुण्य अक्षय होता है । ।
सतम विहाय भौक्तव्यम -सौ काम छोड़कर भौजन करना चाहिए। सहस्रम स्नान माचरेत-हजार काम छोड़कर स्नान करना चाहिए। लक्षम विहाय दातव्यम-लाख काम छोड़कर दान करना चाहिए।(दान सत्तपात्र को ही करना चाहिए। ) कोटिम त्यकत्वा हरिम भजेत। - करोङ काम छोड़कर हरि भजन करना चाहिए।
अक्षय तृतीया महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकार https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-8514171401735406 ी आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था।
धन को पवित्र करने के लिए दान करना चाहिए। कलियुग मे धर्म के चार पैर मे एक पैर ही रह जाता है ।
अक्षय तृतीया के महत्वपूर्ण जानकारी निम्न है ।
महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था।माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।
द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था।
कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था।
कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था।
सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आजही केदिन हुआ था।
ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था।
प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है।
वृन्दावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते हैं।
इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।
अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।
हरिशरणम हरिशरणम हरिशरणम
BHOOPAL Mishra vashwnav
Sudama kuti
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