मानव जीवन विद्यार्थी है ।

0


मानव जीवन क्या है ? मानव जीवन विद्यार्थी जीवन है । पढते रहो ,पढते रहो ,पढते रहो ।

संसार अतंत है ।इसके हरेक विषय वस्तु अनंत है । हम भी अनंत है।  अर्थात सीमा रहित । कब शुरूआत हुई, कब अंत होगा?कितने बार मनुष्य बने ? कितने बार पशु बने ? कितने बार कीट पतंग,पक्षी,गुल्म, लता वृक्ष आदि बने ? कितने बार बनना है ? ये सभी के सभी प्रश्न अनंत  है ।इनके उत्तर भी अनंत है । इसलिए पढते रहो ,पढते रहो ।पढते पढते कभी न  कभी तो कोई  वाक्य, कोई शब्द, कोई  अक्षर मिल जाएगा ।जो सभी प्रश्नो का उत्तर होगा ।वही तुम।को उधार कर देगा ।काम बन जाएगा। 

आप एक किसान हो ,नोकरी मे हो ,व्यापार मे हो ।देश मे हो ,परदेश मे हो ।पढते रहो ।बचपन मे हो ,युवा हो ,जवान हो ,या वृद्ध हो पढते रहो । यही तो खुराक है ।  

पढना क्यो है ? पढोगे तो पढाओ  । सा विद्य

 विमुकतये ।अर्थात, दुस्साध्य  संसार सागर से मुक्त होने के लिए  विद्या ही एक मात्र साधन है ।  

सांसारिक जीवन मे भी आजीवन पढने महत्व है ।परिवर्तन संसार का नियम है ।परिवर्तन होता ही रहेगा । हरेक क्षेत्र मे परिवर्तन होना ही है ।इसलिए अध्ययन करते रहने पर ज्ञान भी ताजा होता रहता है । तुम भी ताजगी महसूस करोगे ।ताजगी के लिए, सफलता के स्वाध्याय ही एक मात्र साधन है । 

मानव जीवन मे 
सबसे कठिन काम है समझना  ,पढना सरल है लेकिन समझना कठिन है ।
पढना और समझना
पढ़ाई , समझने का एक सर्वोत्तम माध्यम है  ।लेकिन हम पढ लिए और समझ लिए, इतना आसान नही है ।हम देखते है कि एक ही बात को बार-बार पढे ।रोज पढे ,याद कर लिए, दुसरे को पढा भी रहे है लेकिन खुद नही समझे !
कितना कठिन कार्य है समझना ?
इसका जवाब देना भी उतना ही कठिन है ।
तो क्या हमे नही पढना चाहिए? जरुर पढना चाहिए। इसीलिए तो पढना चाहिए। कुछ तो समझ आएगा ,कभी तो समझ आएगा । अरे विद्या ऐसी सम्पति है ,जिसका क्षय नही होता है । अगले जन्म मे भी काम आएगा ।जितना आप पढते है भंडार हो रहा है । जो नही समझते है ,उस पर अनुसंधान हो रहा है ।पता नही आपको हमको कितनी विद्या की आवश्यकता है ? विश्व अनन्त है ।इनकी शक्तियां अनन्त है ।इनके मालिक भी अनन्त है ,अनन्त भगवान अर्थात सीमारहित है ।कोई सीमा नही है ।इसलिए निरंतर पढना चाहिए। कोई इंजिनियरिंग कर लिया तो क्या उनकी पढ़ाई समाप्त हो चुकी है ?
नही ,क्योकि वे डॉक्टर तो नही है ।अन्य सभी विषय की जानकारी तो उन्हे नही मिल गई है ।इंजिनियरिंग मे भी बहुत विषय है ।किसी एक विषय के ही प्रोफेसर हो गए है । फिर भी दुसरे को पढाने के लिए पढते ही जाते है ।
विद्या को कोई छीन नही सकता है ।कोई बांट नही सकता है ।कोई लुट नही सकता है ।इसीलिए पढना चाहिए।
विद्या के एक भाई और है । उनका नाम है ,अविद्या ।भाई होने के नाते ये भी महाबली है । आज कल तो इनका ही वर्चस्व है ।विद्या को परास्त कर देते है ।लोकप्रिय भी यही है । क्योकि यह शार्टकट रास्ता पर ले जाता है ।ये बिना योग्यता पात्रता के ही सबकुछ प्रदान करने मे समर्थ है ।इसलिए लोग इनकी सेवा मे ही लगे रहते है ।आखिर विद्या का ही तो भाई है ।बराबर का हिस्सेदार है । इनका रूप रंग, लहक चहक ,रहन-सहन खान-पान तो विद्या से कई गुणा ज्यादा ही है । इनके जाल मे मनुष्य आराम से फंस जाता है और फिर यह अपनी औकात दिखता है ।और कहता है ,तुमने मेरे बङे भाई का अपमान किया है । क्योकि ,झूठ ,फ्राड, कायरतापूर्ण व्यावहार ही तो इनका अभियान है ।
विद्या को अपने भाई से कोई प्रेम नही है ।ये तो उनके तरफ देखना भी नही चाहते है ।इसलिए दोनो भाई अलग अलग रहते है ।
कबतक पढना चाहिए?
मै तो कहता हुं ,आजीवन।  अथवा जबतक अविद्या का नाश नही हो जाता है ।अविद्या का नाश होते ही मनुष्य सर्वज्ञ हो जाता है । फिर पढना नही पाता है ।
उदाहरण  ?
हां , उदाहरण है । मेरे भारत वर्ष मे किसी  वस्तु की कमी नही है ।  कबीर चरित्र जब पाढेंगें तो उसमे आया है कि ,कबीर साहब के समकालीन राजा सिकंदरवक्त था ।कबीर दास के बढते प्रभाव से तंग आकर सिकंदर ने कबीर साहब को मारने की कोशिश की ।की कोशिश के बाद भी कबीर साहब जब नही मरे तो ,एक विशाल लकडी का घर बनाया गया ।उसके चारो तरफ लकङी का विशाल ढेर  कर दिया गया  ।उसके ऊपर कबीर दास को बिठाया गया ।राजा अपने मंत्रिमंडल, प्रजागण  के साथ बैठकर तमाशा देखकर रहे है ।फरमान जारी किया गया,आग लगा दी जाए। आग लगा दी गई हजारों मन लकडी धू धू कर जल रही है । कबीरदास उसमे बैठकर मुस्कुरा रहे  है । भयंकर अग्नि की ज्वाला मे जितना प्रकाश था, उससे अधिक प्रकाशित कबीर दास जी महाराज हो रहे है ।सिकंदर की होश ठिकाने लग गई। कबीर दास की प्रसंशा करने लगे ।उनके चमचों ने कहा महाराज यह तो जादूगर है ।आग को बांध देता है ।पानी को बांध देता है ।आप इसके जादू मे नही फंसे ।कोई दूसरा उपाय करे ।नही तो इस्लाम खतरे मे आ जाएगा ।
फिर, एक मतवाले हाथी को मदिरा पिलाकर उससे कुचलकर कर मार दिजिए ।ऐसा ही हुआ एक मतवाले हाथी को भरपूर खिला पिलाकर तैयार किया गया ।कबीर दास को बांधकर हाथी से कुचलने के लिए कहा गया । महावत हाथी को लेकर दोङा, कबीर के निकट जाकर हाथी एकाएक पीछे मुङ गया । सिकंदर बोला -हुक्म की तमिल नही हुई  ?
महावत ने कहा - हुक्म की तमिल कैसे हो । कबीर के आगे  बब्बर शेर बैठकर गुर्रा रहा है । इसलिए हाथी पीछे हट जाता है । बादशाह बोला हमे सिंह क्यों नही दिखाई देता ? महावत ने कहा -आप स्वयं आकर देख लें । बादशाह स्वयं हाथी पर चढ़कर देखा ,कबीर के आगे बब्बर शेर बैठकर गुर्रा रहा है ।बादशाह सिकंदर कबीर के चरणो मे नतमस्तक हो गया । क्षमा करें, क्षमा करें  ! कबीर ने कहा -अभी तो तुम अपने आप को क्या क्या नही समझ रहे थे ।और अब क्षमा याचना करते हो । जबरदस्ती हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करते हो ।उनके मंदिरों को तोडफोड करते हो । जजिया लगाते हो ।और अब क्षमा मांगते हो ।किन किन अपराधी के लिए क्षमा करें ।
कुछ समय बाद सिकंदर कबीर साहब के पास आए और बोला -आप हमारे धर्म के लिए भी कुछ लिखकर दिजिए । कबीर साहब ने कहा -मै तो कभी स्कूल नही गयी गया हुं । मुझे तो पढने लिखने भी नही आता है । कैसे लिखकर दुं ? सिकंदर बहुत अनुनय विनय करने लगा  तो कबीर दास ने कहा -ठीक है ।एक हजार बैलगाड़ी कागज लेकर आओ ।
सिकंदर समझ गया ,कि शिद्ध संत है ।कोई लीला करेंगे ।एक हजार बैलगाड़ी पर भरकर कागज लाया गया ।कबीरदास जी प्रत्येक गाड़ी को छूकर कहते राम राम, राम राम। और उस गाड़ी के पन्नो को जिस धर्म के लोग देखते ,उसको उसी धर्म की महत्वपूर्ण बाते पढने को मिलता ।
मित्र , क्यों पढना चाहिए। इसका जवाब टूटी फूटी  भाषा और टूटी फूटी बौद्धिक क्षमता से दे रहा हुं ।मै तो वैसे भी उपहास का पात्र हुं । फिर भी मेरी घृष्टता को क्षमा करें । क्रमशः 
 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

pub-8514171401735406
To Top