Bihar -Apni to asi tesi अपनी तो ऐसी तैसी

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         बिहार मे -   अपनी तो ऐसी तैसी 



अपने बारे में भी कुछ बताना चाहिए। जो वास्तव मे कई आश्चर्य जनक कारनामे से भरी पड़ी है ।लेकिन मुझे तो भक्तों के चरित्र ही प्रिय है । लेकिन वास्तविक जीवन मे असंत चरित्र ही भरा पड़ा है ।मै नही चाहता कि किसी दुष्ट के जीवन की भी चर्चा करूं । 

मेरा जीवन भयंकर शत्रु पीङा से पीड़ित है । शत्रु पीङा एसा कि जान से  न मारकर तङपा तङपाकर मारने वाला शत्रु। पहले प्रह्लाद जी का चरित्र पढता था विश्वास ही नही होता था ।कहते थे यह सब झूठ है । फिल्म मे मारधार देखता ,तो समझते थे कि यह सब झूठ है ।लेकिन अब समझ मे आता है कि यह सब सच है ।अपने शत्रु पीङा के बारे मे मुझे प्रह्लाद जी के शत्रु पीङा से कम नही लगता है । क्योकि  प्रह्लाद जी को तो अपने पिता के द्वारा ही पीङा दी जाती थी । जिसे पीङा नही भी कह सकते है ।

लेकिन हम तो पुरे परिवार के साथ लगातार पीङा सहन कर रहे है । पीङा   का एक छोटा सा उदाहरण यह है कि मै एक 24 वर्ष के पुत्र का पिता हूं । लेकिन आज तक 24 घंटे भी अपने पास नही रख सका हूं । मात्र 10 किलोमीटर की दूरी मे जन्म से ही नजरबंद है । आप विश्वास नही करेंगें, लेकिन सच है । मै  sp Dm ,कलेक्टर, कमीश्नर साहेब, मानवाधिकार आयोग, भारत के सभी प्रमुख टीवी चैनल तक आवेदन किया ,गुहार लगाई। लेकिन मै तो बिहार का नागरिक हुं ।यहां तो हमारे जैसे घनेरो  है ।कौन सुनने वाला है । दाने दाने को तरस रहे है । फिर भी लगभग 25 करोङ के सम्पति लुट चुका है । और इतना ही सम्पति लुटने वाला है । वह भी लुट ही चूका है । नश्ल ही खत्म हो जाएगा तो सम्पति किस काम की ।

आप समझ सकते है कि मै किस भयंकर शत्रु पीङा से पीड़ित हूं । कुछ समय से मडर का तैयारी भी जोरों पर है । हाल ही मे 25 साल के एक भतीजे के मडर हुआ है । मडर करने मे डाक्टर का भी हाथ होता है । परिवार के कई सदस्यों को भगा चुका है ।जो दिल्ली आदि स्थानो मे जीवन निर्वाह कर रहा है ।परिवार के सभी सदस्यों को अलग अलग स्थान पर रहने के लिए मजबूर कर दिया जाता है । कङी निगरानी के बीच एक कैदी के भांति जीवन निर्वाह करना पडता है ।

बिहार अब पुरी तरह से मारबाङी के चंगुल मे फंस चुका है ।मारबाङी बिहारवासी के लिए महामारी के तरह फैल चुका है ।इन्ही के इशारे पर सारे राज्य काज हो रहे है ।इनके उपर कही कोई fir भी नही हो सकता है । इनका आतंक इतना ज्यादा है कि बिहार प्रसाशन, जनता ,नेता, मंत्रिमंडल, मिडिया, अथवा भारत सरकार का कोई भी संस्थान इनके विरूद्ध कार्रवाई करने मे समर्थ नही है ।यदि इनको व्यवसायिक आंतकवादी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी । 

बिहार के प्रशासन भी इतना कमजोर है कि इनके द्वारा की जा रही किसी भी अपराध को नजरअंदाज करके ही काम करती है । क्योकि, बोलने का अर्थ है समूल नाश। अभी गांव घर मे मडर तो आम बात है । मडर का तरीका भी कुछ इस प्रकार है । ऐसे परिवार जिसमे परिवार के सदस्यों की संख्या कम है ।जमीन है ,तो इस परिवार के नौजवान को पहले नौकरी पर रख लेते है । और जब दोनो के सम्बंध को कुछ दिन हो जाता है ।फिर उसे गाड़ी के चक्का के नीचे भेज दिया जाता है । और आसानी पुरे सम्पति सहित उस परिवार पर कब्जा कर लेता है । फिर उस परिवार के महिलाओ को देह व्यापार मे धकेल कर आमदानी करता है । ईस तरह के नये नये तरीक से  पुरे बिहार को लुटा जा रहा है । हम बिहार वासी भेंङ बकरियों के तरह देख रहे है ।



बुद्धजीवी समझते है कि अच्छा हुआ है ।अब तो यह सब मेरा हो जाएगा।  लेकिन कुछ दिन के बाद उनका भी नमबर लग जाता है । और इसी तरह बिहार अब मारबार बन रहा है ।सता मे इन्ही लोगो की हिस्सेदारी है ,जिसे राजनीति मे  abcd ज्ञान नही है । तभी अंगूठा छाप को मुख्यमंत्री जैसे पद पर बिठा दिया जाता है । जो विद्यालय को चरवाहा विद्यालय बना देते है ।पढे लिखे ias,ips,को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी।  

बच्चे को पढाना लिखाना, शादी विवाह करवाना भी कई परिवार को नसीब नही हो रहा है । जबर्दस्ती बच्चे को घर से उठा लिया जाता है । यहां जुर्म की कोई सीमा नही है ।यदि कभी कश्मीर फाईल की तरह बिहार फाईल भी खुले तो ही खुलासा संभव है । मेरे जैसा आदमी तो न सही से लिख सकता है ,और न ही बोल सकता है । हमारे राजा महाराजा भी कुछ इसी तरह है , जो न कुछ कर सकते है ।और न ही किसी को कुछ करने देते है ।

आज माताजी के दुसरी वर्षी का नख बाल है । लेकिन हम अपने ही बेटे बेटी यानि जिसके  दादी का वर्षी है,  शामिल नही हो सकता है।  क्योकि हम मुफ्त के गुलाम है ।हम नजरबंद है ।हम बिहार के नागरिक है ।हम भारत के उपेक्षित राज्य का नागरिक है ।जहां आवाज उठाने वाले को कुचल दिया जाता है ।जहां आज भी अंग्रेजी हुकूमत है । जहां अंगूठे छाप को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है । 

मै आपका ध्यान बिहार के 60 % से अधिक नागरिक की हालत पर केंद्रित करन चाहता हूं। जिसके लिए न सरकार है , न प्रसाशन, न मिडिया, न मानवाधिकार आयोग, कोर्ट कचहरी तो पैसे वाले के लिए ही खुली हुई है ।

मै गृह मंत्रालय को भी कई बार सूचित करता रहता हूँ।  you tube के माध्यम से भी कह रहा हूं।  लेकिन बिहार तो लावारिस है।  डर भी लगता है जब यह हाईलाइट होगा तो कितना जुल्म और बढेगा। 

बिहार मे स्कूल कालेज मे पढ़ाई लिखाई बंद होना कोई अपराध की श्रेणी मे नही आता है ।आप इसी बात से अंदाज कर सकते है कि प्रशासन मे कितने पढे लिखे लोग है । 15-1/वर्ष तक कुर्सी पर बेठने के बाद भी शिक्षा विभाग कोई मुद्दा नही है । और विभाग की बात ही क्या करें  ? अब तो बिहार की जनता भी इतनी शिक्षित हो चुकी है कि ये सब मुद्दा समझने के लायक ही नही रही है। 

विपक्ष सता मे नही है ।सता धारी को बहुमत नही है । भाजपा की सता ही नही है ,तो शासन कौन करे ? 


राम भरोसे हिंदु होटल 

क्मशः 

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