Congress k worker पप्पू की बारात मे पप्पू ही पप्पू

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          पप्पू के बारात मे पप्पू  ही पप्पू 



भारतवर्ष मे कभी शिखर के पार्टी कांग्रेस आज भेड़िये की पार्टी बन गई है । यदि इन कार्यकर्ता के योग्यता पर विचार करें तो और स्पष्ट हो जाती है ,भेंङ वाली बात । राहुल गांधी जैसा व्यक्तित्व के पीछे चलने वाले को कया कहेंगे आप? भारत का इतना बुरा वक्त हो गया कि राहुल गांधी जेसा आदमी भी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे है ।इनका कार्य कलाप के बारे मे मुझे बताने की जरूरत नही है ।आप सब वेहतर जानते है । 

निजी विद्वता तो जग जाहिर है । अब कार्यकर्ता की विद्वता भी जग जाहिर हो गई  है । जिन कार्यकर्ता को इतना भी मालूम नही कि राहुल गांधी के ऊपर जो मुकदमा चल रहा है ।उसकी पूछताछ लिए ED के आफिस मे बुलाया गया है । और इसके लिए ये लोग धरना प्रदर्शन कर राहुल जी उर्फ पप्पू जी के सामर्थ्य का प्रदर्शन करने लगे । भारत के भावी प्परधानमंत्री पप्पू जी  के योग्यता का ढिंढोरा पीट रहे है । वाह !रे नेता वाह !वाह रे समर्थक । बुजुर्ग या फ़िर कहे हमारे पूर्वज के कहावत बिल्कुल सही है । आसमान से गिरा और खजूर पर अटका।  

मेरे राष्ट्र के राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंत्री का जब ये हाल है तो इनके कार्यकर्ता का क्या हाल होगा । जिसका हाल चाल कोई नही पूछता वो सभी धरने पर बैठने की धमकी भी दे रहे है । मुझे तो लगता है यदि पप्पू को जेल हो गया ,सजा हो गई तो कहीं पप्पू के अनुयायी ,  (होसरामचंद्र जी के वनवास के समय बहुत से लोग चौदह वर्ष तक घर वापस नही गए थे ,)ये लोग भी सजा काल तक घर नही लौटे ।

हो सकता है । इज्जत का सवाल है । जिसका बङा भाई हो शराबी छोटा पीए तो क्या है खराबी । ये लोग अभी से जेल जाने की तैयारी शुरू दी है । बाद मे मौका मिलेगा कि नही ।फिर कितनी सजा होगी ,उतने दिन बाहर मे ठंडी गर्मी ,बरसात मे बैठने से अच्छा तो जेल मे रहना ही उचित है । फिर यदि नेता ही नही रहेगा तो कार्यकर्ता किस काम का । बाहर मे लोगों के ताने बाने सुनने से अच्छा तो जेल ही है ।बरसात में सभी नदियों मे पानी भी बढ गया है ।कम पानी रहता तो हिम्मत भी करते ।

भारतवर्ष है जेल जाने से स्वतंत्रा सैनानी बनने का अवसर भी मिल सकता है । कहीं पप्पू बाहर आकर प्रधानमंत्री बन गया तो सभी साथियो को स्वतंत्रता सैनानी का पेंशन पक्का है । तभी तो कार्यकर्ता इतने बङे देशव्यापी आन्दोलन मे कुद पङे है । वर्ना कौन किसके पीछे चलता है । 

एक बात तो पक्की हो गई  कि गदहे की बारात मे गदहे ही गदहे । 

 

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