सनातन वैदिक धर्म मे कन्यादान का समय
आज से कम से कम 50 साल से उपर के ऊम्र के लोग देखे होंगे। कि हिन्दू हो या मुसलमान सभी मे लडकी के सादी की ऊम्र 5 वर्ष से 10 वर्ष के अंदर ही हो जाती थी । इतना ही नही पांच वर्ष मे जिनकी सादी हुई है, ऐसे दुल्हन आज भी हमारे देश के सभी धर्मो मे, सभी नगर पंचायत मे आज भी मौजूद है ।साठ साल के ऊपर के जो भी दुल्हा दुल्हन (दम्पती) है ।उन सबका विवाह लड़की 5 से 10 वर्ष और लड़के का 10 से 13 वर्ष मे ही हुई होगी। हिन्दू सनातन धर्म मे कन्यादान का उपयुक्त समय दस वर्ष से नीचे का ही तय किया गया है। जिसे शुद्ध विवाह माना जाता है । इस उम्र मे विवाह के बाद जब तक लङका लडकी युवावस्था मे नही पहुंच जाता था। तब तक लडकी अपने मायके मे ही रहती थी । यौवनावस्था मे ही उनका गुणा होता था । जिसे द्विरागमन भी कहा जाता है ।द्विरागमन की प्रथा कहीं कहीं विषेश कर मिथिला मे आज भी विद्यमान है ।
दस वर्ष से कम उम्र के लडकी को ही कन्यादान के योग्य माना गया है । कन्यादान को महादान कहा गया है । कन्यादान के बदले मे मनुष्य स्वतंत्र हो जाता है ।वह इस महादान के पुण्य के बदले इश्वर से अति दुर्लभ मोक्ष भी प्राप्त कर सकता है ।
इस लिए बहुत नियम निष्ठापूर्वक इन सभी बातों का अक्षरशः पालन किया जाता था । सदाचारी गृहस्थ के जीवन मे कन्यादान से बङा कोई दान, धर्म कर्म, यज्ञादि कार्य नही था।
इन धर्म का पालन तो मुगल काल,अंग्रेज कालतक हुआ ही ।लेकिन, जब भारत कहने के लिए स्वतंत्र हुआ तो सबसे पहले हिन्दुओ के बचे धर्म को ही नष्ट करने का षडयंत्र शुरू हुआ।
खेर ,आज हम बात करते है , जिस बयान पर खून खराबा राईट की नौबत आ गई, वह कितना सही है ।
मोहम्मद साहब के बारे मे जो लिखा है कि छः वर्ष की लडकी के साथ सादी किये । यह कोई अपशब्द नही है । अगर उन्होने किया तो भी गलत नही है । हमारे देश मे सभी धर्म मे आज भी 60 वर्ष या 70 वर्ष से उपर के वृद्धा मौजूद है जिनकी सादी इस उम्र ही हुई है ।
हिंदू धर्म 9 साल से अधिक ऊम्र के लडकी के सादी स्वीकार नही करता है । लेकिन भारत धर्म निरपेक्ष होने के कारण, (धार्मिक कानून के मजिस्ट्रेट जो कि हमारे धर्म गुरू है ।) धार्मिक न्याय के फैसले का अधिकार भी नेताओने ले ली है । जिसके कारण इस महत्वपूर्ण धार्मिक कर्म का विलोप हो गया है । जिसका भयानक दुष्परिणाम है,अंतर्जातीय विवाह,बलात्कार , लवजेहाद, वर्णसंकर, धर्म का पतन, मनुष्य के औसत आयु मे कमी, मनुष्य के साइज मे कमी, 15 वर्ष के लङके का बाल पकना और भी कई भयंकर, भयंकर दुष्परिणाम आने बाकी है ।
हम मोहम्मद साहब के इस कार्य को गलत नही कह सकते कि उन्होने छः साल के लडकी से सादी की । उस समय मे सादी का यही समय था । सनातन धर्म मे आज भी विवाह का यही समय है । जिसे हमारे दुराचारी नेताओँ धर्म गुरूओं के अधिकार को खत्म कर मिटा रहे है ।क्रमशः
हर हर महादेव
BHOOPAL Mishra
Sanatan vedic dharma karma
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