आज 1000 वर्ष से जिस तरह से हिंदु अत्याचार का शिकार हो रहे है । इसका कारण हमारा उदारीकरण ही है ।हमलोग अहिंसा के पुजारी है । लेकिन जब जब हिंसा के पुजारी से समना हुआ है ।तब तब उनसे भी फतह पाए है ।
इतिहास भरा पङा है । न जाने कितने बार देवासुर संग्राम हुआ है। युद्ध ही तो परिक्षा है । युद्ध ही धर्म अधर्म की कसौटी है । युद्ध का विज्ञान भी मेरे पास ही है। युद्ध नही तो कुछ नही । युद्ध परंपरा है ।
आज की बात करें या कल की युद्ध जीवन साथी है । इसलिए इससे घबराने की बात नही है । हां , जबतक टाला जाए तबतक टालते रहना चाहिए। युद्ध का परिणाम बङा भयंकर होता है ।युद्ध मे निर्दोष भी मारे जाते है ।
आज जहां 'सर तन से जुदा' का नारा दिया जा रहा है ।ऐसे मे कबतक युद्ध रूक सकता है । क्योंकि युद्ध तो तभी हुआ है ।जब अधर्मी का अभ्युदय हुआ है ।इनकी संख्य मे वृद्ध हुई है । वो समय भी आ ही गया है ।
दिन दुनी रात चौगुनी जनसंख्या बढ रही है । जिसे रोकना कठीन है। हिंदु एक पुत्र अथवा एक पुत्री मे ही संतुष्ट है । हिंदुओं मे भी बहुत ज्यादा विकृति उत्पन्न हो गई है । हिंदुओं का व्यवहार तो ईसाई, यहूदी, मुस्लिम से बदतर हो गया है ।। इनलोगों की सारी कमी को अब सबल हिंदु निर्बल हिंदुओं पर अत्याचारकर पुरा कर रहे है ।। गांव घर मे जो कमजोर हिंदु है उनको हिंदु ही खत्म कर रहे है । बिहार जैसे राज्य मे तो यह धंधा जोरो पर है । प्रशासन भी आदम जमाने का है। जिसके कारण कोई भी कमजोर परिवार सुरक्षित नही है ।
अब एक ही रास्त है ,आग से आग बन जाओ । पानी के साथ पानी । जबतक इनके साथ जस के तस वाला व्यवहार नही होगा तबतक इसको कंट्रोल करना संभव नही है । हमारे नेतागण अपनी झूठी मान सम्मान के लिए बारंबार इनको अनेक तरह के औफर देकर हिंदु के हित के का बलिदान दे रहे है । शुरुआत से ही देखा जाए तो इनके चलते किसी भी हिंदु का भला नही हुआ है । बङे बङे अरबो खरबों की सम्पति वाले मंदिर को लुटकर ,तोङकर और उस पर मस्जिद बना दिया गया । जिसने , बैठने के लिए कहा उसी को उजार दिया ।जिसने खाने को दिया ,उसी का निवाला छीन लिया । जिस थाली मे खाया उसी मे छेद कर दिया ।
हमारे लाखो हिंदु शास्त्र पुराण को जला दिया ।लाखों स्त्री को अग्नि समाधि लेनी पङी। इनके द्वारा की गई अत्याचार जगत विदित है ।
प्रशासन का काम होता अपने धर्म की मर्यादा की रक्षा करना । लेकिन आज भी हम अपने धर्म के बारे मे बोल नही सकते। हमारा जो मुख्य धार्मिक अनुष्ठान बंद हो गए। इन सबको हमारे ही हिंदु नेतागण ढोंगकहने लगे ।,बङे बङे यज्ञ करने के बारे मे सोच भी नही सकते। क्योकि , इनके ऊटपटांग दुर्व्यवहार से बाहर निकल ही नही सकते। यह हमारे उपर मुफ्त का बोझ है । जिसे कुछ दुराचारी हिंदु नेता के वजह से ढो रहे है । क्रमशः