बिहार के (फ़ौलादी ) राजनीतिज्ञ का दर्दनाक अंत
बिहार के राजनीतिज्ञ का अंत दर्दनाक होता है । हम इसे बिहार का दुर्भाग्य ही कहे । स्व.ललित नारायण मिश्र से लेकर वर्तमान तक सभी बिहारी राजनीतिज्ञ का अंतिम क्षण तक दुर्दशा ही दुर्दशा होता है । स्व. ललित बाबू की मौत बम से हुई थी । समय पर अस्पताल न पहुचाने के कारण तङप तङपकर मौत हुई । ललित बाबु रेलमंत्री थे । भारत मे काफी लोकप्रिय थे । लोकप्रिय होना ही उनके दर्दनाक मौत का कारण बना । इनके केस का फैसला 39 वर्ष के बाद हुआ। जबतक सभी दोषी मर नही गए, तबतक जजमेंट नही हुआ।
अर्थात सुप्रीम कोर्ट भी बिहार को इंसाफ दिलाने मे समर्थ नही है । फिर लोकसभा, राजसभा, मानवाधिकार आयोग, मिडिया आदि बिहार का नाम सुनते ही शिथिल हो जाता है ।
डा.जगन्नाथ मिश्र अपने समय के ये भी कांग्रेस के जाने माने नेता थे । बिहार के राजनीति मे इनका काफी योगदान रहा है ।बिहार को शिक्षित करने के लिए, शिक्षा के क्षेत्र मे कई स्कूल, कॉलेज, मदरसे खुलवाए । जो सभी बाद मे चरवहा विधालय के रूप मे परिवर्तित है ।
श्रीमान लालू प्रसाद यादव लगभग 35 वर्षो से सक्रिय राजनीतिज्ञ है । अंत मे इन्हे भी जेल जाना पडा । सजा काटने के बाद अभी बाहर मे है ।बिहार के विकास के लिए आवाज उठाते रहते है ।
श्रीमान शत्रुघ्न सिन्हा जी फेमस फिल्म स्टार के साथ भाजपा मे नेतागिरी भी करते थे । भाजपा को जन-जन तक पहुंचाने मे इनका अमूल्य योगदान रहा है । लेकिन जब फायदा का समय आया तो दुध के मक्खी की तरह पार्टी से निष्कासित कर दिया गया । यहां एक बात कहना जरूरी है । यदि शत्रुघ्न जी बिहार की बागडोर को संभालते तो बिहार का मानचित्र आज कुछ और होता । लेकिन इन्हे भी अन्य बिहारी के तरह ही उपयोग किया गया। शायद अभीतक बिहार के राजनीति को समझ नही सके है ।
श्रीमान आनंद मोहन सिंह बिहार के जाने माने हस्ती है । बिहार की सता का बागडोर आज भी इनके हाथ आ जाए तो बिहार मे बहार सुनिश्चित है । लेकिन इनको जबर्दस्ती दबंग बना दिया गया ,ताकि बिहार की आवाज की सदा सदा के लिए दबाया जा सके । ढेर सारे मुकदमा मे उलझाकर इनको जेल मे बंद कर दिया । यही है बिहार की राजनीति ,जिसे न तो बिहार के सङक छाप नेता समझ सके न ही जेल छाप नेता समझ सके ।बिहार के जनता की बात ही क्या है । बिहार के बुद्धजीवी वर्ग आज तक एक दुसरे को दोष ही देते रहे है । बिहार के शत्रु समझते है, किस व्यक्ति को गद्दी पर बैठाया जाए।
मेरा मानना है कि इतनी सी बात को न समझने की भूल ललित बाबू से भी हुई थी । वैसे ललित बाबु अंतिम समय मे इतना जरूर कहा कि मै रहूं या ना रहूं, बिहार बढ़ रहेगा ।
जगन्नाथ मिश्र समझ तो गए थे ,लेकिन सम्भालने का मौका ही नही मिला। क्योंकि, जगन्नाथ बाबु के समय अंधाधुंध नये नये स्कूल, कॉलेज, मदरसे खूलना इस बात की ओर इशारा करता है । जगन्नाथ बाबु बिहार को तत्काल शिक्षित करने के लिए सेकङो विधालय खुलवाए। ताकि बिहार के जनता को शिक्षित किया जा सके। आज भी उनके द्वारा खुलवाए गए विधालय ही है ,जो कमसे कम प्रमाण पत्र भी प्रदान कर रहा है । उनके बाद तो इन विधालय का अस्तित्व भी खत्म हो रहा है ।किसी भी स्टाफ को आज तक वेतन भी नही दिया गया है । ये सभी आज राम भरोसे हिन्द होटल है ।लालुजी के आने के बाद तो सभी विधालय चरवाहा विधालय बन गया ।
शत्रुघ्न जी चुकि मुम्बई मे थे बिहार के राजनीति से सर्वथा अनभिज्ञ थे। भाजपा मे कई बार शत्रुघ्न जी को बिहार के कमान सम्भालने के लिए प्रेरित किया गया ।लेकिन उस समय लालू जी के वर्चस्व के कारण शत्रुघ्न जी बिहार के साथ न्याय नही कर सके।जिसका दुखद परिणाम सबके सामने है ।बिहार की हालत आज श्रीलंका या पाकिस्तान से करने मे कोई बुराई नही है । pok की जनता से बदतर हाल बिहार के जनता की है । पलटु राम कुर्सी के कारण बिहार के नस्ल को ही नष्ट कर रहे है । कुर्सी पर बैठना और राजनीति समझना, दोनो अलग-अलग बात है । कुर्सी पर कोई बैठ सकता है ।या किसी भी अपंग को भी किसी कुर्सी पर बैठा सकते है। इससे वह राजनीतिज्ञ नही हो सकता है । नीतीश कुमार बिहार को 100 वर्ष पीछे लेकर चले गए।
हमारे बिहार के राजनीतिज्ञ को यही नही मालूम कि कुर्सी पर क्यों बिठाया जाता है ? कुर्सी पर बैठकर करना क्या है ?
बिहार मे सरकार के लिए अब कोई दुसरे राज्य से नेता आयात करना पडेगा। वो दिन भी नजदीक ही है ,जब बिहार के मंत्रीमंडल मे तमाम दुसरे राज्य के लोग होंगे ।
मेरा उद्देश्य बिहार के कमजोरी पर ध्यान केंद्रित करना है । इशारा यह है कि बिहार का राजनीतिज्ञ कौन है ? क्या कुर्सी पर बैठने वाले या कुर्सी पर किसी को भी बिठाने वाले ?
बिहार के बङे नेता के तरह ही पंचायत स्तर, प्रखंड स्तर जिला स्तर तक के सभी फ़ौलादी युवा का यही हाल होता है । बस इनका मडर, जेल, या पलायन ही होता है। बिहार मे मूर्खो को लालच देकर पहले गद्दी पर बैठाया जाता है। फिर इनके कंधे पर बंदूक रखकर शिकार किया जाता है ।
बिहार प्रशासन मे ias,ips भी मामूली क्वालिफाइड ही सप्लाई किया जाता है । तभी तो इनके सामने अनपढ गवांर मंत्री मुख्यमंत्री गद्दी पर बैठे रहते है ।
हर हर महादेव मित्र
भूपाल मिश्र
सनातन वैदिक धर्म
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